संन्यासी नहीं
मैंने कभी अपने आपको संन्यासी नहीं कहा। संन्यास बड़ी कठिन चीज है। मैं तो स्वयं को एक गृहस्थ मानता हूं जो अपने सहकर्मियों के साथ मिलकर, मित्रों की दानशीलता पर जीवन निर्वाह करते हुए, सेवा का विनम्र जीवन जी रहा है... मैं जो जीवन जी रहा हूं वह पूर्णतया सुगम और बड़ा सुखकर है, यदि सुगमता और सुख को मनःस्थिति मान लें तो। मुझे जो कुछ चाहिए, वह सब उपलब्ध है और मुझे व्यक्तिगत पूंजी के रूप में कुछ भी संजोकर रखने की कतई जरूरत नहीं है।
यंग, 1-10-1925, पृ. 338
(WELL SOMEHOW I REMEMBER AND LIKE TO MENTION,OUT OF CONTEXT... SANYASIN WIFE OF FILM SCRIPT WRITER'RAJ J J SINGH IN SHANTI SERIAL,NAMED SMT INDIRA J J SINGH WHO LEFT HOME AND BECAME SANYASIN,USED TO WEAR CLOTHS LIKE UMA BHARTIJI DOES,BUT CAME BACK IN GRIHASTHA ASHRAM FOR HER KIDS SAKE.THOUGH SHE WAS QUITE UNLIKE GANDHIJI'S ....AS THEIR THINKINGS DIFFER....!!!...VIBHA)
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