Environnement-Pryavaran
उर्जा का अति दोहन,मानवता का शोषण है
उर्जा की ताक़त मेरी मुट्ठी में,उर्जा की ताक़त तेरी मुठी में,
माँ के आंचल में,मेरे घर के अंगान में.
गाँव के पीपल में,चौपाल के बूढ़े बर्गाद में.
नन्हीं सी कोंपल में,नडी किनारे पान्घात. में.
गली में,मोहाले में,तालाब में जंगल में.
उर्जा की ताक़त मेरी मुठी में
उर्जा की ताक़त तेरी मुठी में
शहर की सड़क में,तड़क-भड़क में.
गार्री.में जहाज़ में,देश की आवाज़ में
कैसे बचैयें इसे,कैसे बधैयें इसे
उर्जा की ताक़त मेरी मुठी में
उर्जा की ताक़त तेरी मुठी में
हवा में,मेरी सांसों में
कण कण में समाई आपार उर्जा
उर्जा की ताक़त मेरी मुठी में
उर्जा की ताक़त तेरी मुठी में
तेल की कुओं में
नदियों की धारों में
खानों,खादानों में
सूरज की तपन में
कण-कण में समाई आपार उर्जा
उर्जा की ताक़त मेरी मुठी में
उर्जा की ताक़त तेरी मुठी में
उर्जा के बिना जीवन
सिर्फ है एक जंग
उर्जा नहीं तो जीवन
रसहीन है और बदरंग
उर्जा का खूब दोहन
अपना ही है शोषण
बिगड़े पर्यावरण.
फैलता है प्रदूशन
उर्जा के बिना जीवन
रसहीन है,बदरंग है
सबको मिले उर्जा
ऐसा हो इंतजाम
न हो इसकी किल्लत
न बढे इस्सका दाम
इसकी कीमतों से
Anटी हुई ढीली ....
जनता के चेहरे
त्रस्त और हुई पीली
उर्जा की ताक़त मेरी मुठी में
उर्जा की ताक़त तेरी मुठी में
कण कण में समाई है आपार उर्जा ...!!!
विभा तैलंग
(aawaaz.aditifoundation.co.in...environment category)
Friday, March 25, 2011
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